Aajapa Jaap
प्रेमानंद जी महाराज का उपदेश: हर युग में जब मनुष्य बाहरी शोर से थक जाता है, तो वह अपने भीतर लौटने की चाह रखता है। ऐसे समय में, जब कोई संत साधना को सरल और सहज बनाता है, तो वह हर किसी के लिए सुलभ हो जाती है। प्रेमानंद जी महाराज द्वारा प्रस्तुत 'आजपा जाप' एक ऐसा ध्यान पथ है, जो न केवल आत्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में स्थिरता और संयम भी लाता है।
आजपा जाप का अर्थ और इसकी गहराई आजपा जाप क्या है?
‘आजपा’ का अर्थ है ऐसा जाप जिसे बोलने की आवश्यकता नहीं होती। यह वह मंत्र है जो हमारी हर सांस के साथ चलता है, भले ही हम उसे सुन या देख न सकें। यह 'सोऽहम्' पर आधारित है, जिसमें 'सो' श्वास के अंदर जाने पर और 'हं' बाहर आने पर अनुभव होता है। प्रेमानंद जी इसे आत्मस्मरण का साधन मानते हैं।
आजपा जाप कैसे करें? कैसे करें आजपा जाप?
आजपा जाप के लिए किसी माला या धार्मिक स्थान की आवश्यकता नहीं होती। यह एक आंतरिक साधना है, जिसमें केवल अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करना होता है। शांत स्थान पर बैठकर, आंखें बंद करें और सांसों को अनुभव करें। जब सांस अंदर जाए, तो मानसिक रूप से 'सो' और जब बाहर निकले, तो 'हं' का अनुभव करें। इसे बोलने की आवश्यकता नहीं है, केवल ध्यान देना है।
प्रेमानंद जी महाराज का दृष्टिकोण आत्मसाक्षात्कार का साधन
प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि आत्मा तक पहुंचने के लिए किसी बाहरी गुरु की आवश्यकता नहीं है। सांस ही सबसे सच्चा गुरु है। जब हम 'सोऽहम्' पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मन शांत होता है और हम अपने भीतर के दिव्य स्वरूप से जुड़ने लगते हैं।
आजपा जाप का प्रभाव जीवनशैली में बदलाव
इस साधना का प्रभाव केवल ध्यान के क्षणों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह हमारे जीवन की हर गतिविधि को प्रभावित करता है। जब मन सांसों के साथ एकरूप हो जाता है, तो वह अधिक स्थिर और संयमी बनता है। प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, ऐसा साधक कम बोलता है, लेकिन अधिक समझता है।
आजपा जाप और मानसिक स्वास्थ्य तनाव और चिंता से मुक्ति
आजकल चिंता, अनिद्रा और अवसाद आम समस्याएं हैं। प्रेमानंद जी बताते हैं कि आजपा जाप से सांसें लयबद्ध होती हैं, जिससे मस्तिष्क शांत होता है। यह साधना भीतर के घावों को भरने में मदद करती है।
सार्वभौमिक साधना धर्म से परे
आजपा जाप किसी भी व्यक्ति द्वारा, किसी भी स्थान और परिस्थिति में किया जा सकता है। प्रेमानंद जी इसे 'सार्वभौमिक साधना' मानते हैं, जो सभी के लिए समान है।
आध्यात्मिक उन्नति क्या आध्यात्मिक उन्नति संभव है?
प्रेमानंद जी के अनुसार, आजपा जाप साधक को स्व-निरीक्षण की ओर ले जाता है, जिससे वह अपने शुद्ध स्वरूप का अनुभव करता है। यही आत्म-साक्षात्कार है, जो इस जीवन में संभव है।
आजपा जाप के नियम जाप के नियम
- मौन और मानसिक जाप: इसे बोलकर नहीं करना है, केवल मानसिक रूप से और सांसों के साथ किया जाता है।
- नियमितता: हर दिन एक निश्चित समय पर जाप करें।
- स्थिरता: शरीर स्थिर और सीधा होना चाहिए।
- ध्यान: केवल श्वास पर ध्यान दें।
- सात्त्विक भोजन: खानपान में संयम रखें।
- सहजता: इसे जबरन न करें।
- गोपनीयता: अनुभवों को किसी से न बताएं।
- मौन में बैठें: जाप के बाद कुछ क्षण मौन में रहें।
- जीवन को पवित्र बनाएं: आचरण में पवित्रता लाएं।
- आत्मनिर्भरता: दूसरों पर निर्भर न रहें।
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